इस लोक में अहिंसा से बड़ा कोई धर्म नही और हिंसा से बड़ा कोई अधर्म नही | अहिंसा ही माता के समान सर्वप्रानियो का हित करने वाली और संसार रुप मरुस्थली में अमृत बहाने वाली नहर है |
अहिंसा ही दुखरुपी दावाग्नि को शमन करने के लिए वर्षाकालीन मेघावली है और अहिंसा ही मन भ्रमणरुपी रोग से पीड़ित प्राणियों के लिए परम औषधि है |
भारत देश अहिंसा प्रधान देश है | भारतीय संस्कृति में विशेषकर श्रमण संस्कृति में महावीर को अहिंसा के अवतार के रूप में स्मरण किया गया है महात्मा गाँधी जैसे अनेक महपुरुषों ने भी महावीर की अहिंसा को आपने जीवन का आदर्श बनाकर उससे अनेक जटिल समस्याओ का समाधान किया है | विचारों में अनेकान्त वानी में स्थाद्धार जीवन में अपरीग्रह और आचरण में अहिंसा यही महावीर का मूल संदेश है | महावीर के इसी संदेश को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए अहिंसा प्रेमी समाज द्वारा भारत देश की राजधानी दिल्ली महानगर के पूर्वी दिल्ली के आई . पी . एक्स. के मध्य मधु विहार में सर्वजनहिताय , सर्वजन सुखाय हेतु अहिंसधाम के स्थापना की जा रही है |
अहिंसा ही दुखरुपी दावाग्नि को शमन करने के लिए वर्षाकालीन मेघावली है और अहिंसा ही मन भ्रमणरुपी रोग से पीड़ित प्राणियों के लिए परम औषधि है |
Ahinsha Dham From that time onwards,this samaj has grown rapidly with the help ,co-operation and support from its proud members. Currently there are hundreds of families registered as members and quite a few families have joined this samaj on a Life Time Basis. This samaj and its members have done a remarkable job of keeping traditional Jain religion and its culture alive in world. It also inspired kinds and children of all ages to learn and follow Jain religion.